Google के AI विशेषज्ञों ने खोले 4 राज़: Embeddings की दुनिया वैसी नहीं जैसी आप सोचते हैं
Introduction
क्या आपने कभी सोचा है कि YouTube आपको हमेशा वही वीडियो कैसे दिखाता है जो आप देखना चाहते हैं? या Google Search इतनी सटीकता से आपके सवाल का मतलब कैसे समझ लेता है? यह अनुभव इतना सहज होता है कि लगभग जादुई लगता है, जैसे कि ये सिस्टम हमारे दिमाग को पढ़ सकते हैं। पर इस "जादू" के पीछे कोई रहस्य नहीं, बल्कि एक शक्तिशाली तकनीक है जिसे 'एम्बेडिंग्स' (embeddings) कहा जाता है।
सरल शब्दों में, एम्बेडिंग्स डेटा (जैसे टेक्स्ट, चित्र, या वीडियो) का संख्यात्मक प्रतिनिधित्व (numerical representation) हैं। यह AI को इन अलग-अलग तरह के डेटा को एक साझा भाषा में समझने और उनकी तुलना करने की अनुमति देता है। यह तकनीक आज के सबसे उन्नत AI सिस्टम की नींव है।
इस लेख में, हम आपको एम्बेडिंग्स और वेक्टर डेटाबेस की दुनिया के कुछ सबसे आश्चर्यजनक और प्रभावशाली सच बताएंगे। ये जानकारियां सीधे Google, DeepMind और Kaggle के विशेषज्ञों द्वारा साझा की गई हैं, जो इस तकनीक की सीमाओं को हर दिन आगे बढ़ा रहे हैं।
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1. AI अब खुद दूसरे AI को दुनिया समझना सिखा रही है
यह सुनने में किसी साइंस-फिक्शन फिल्म जैसा लग सकता है, लेकिन यह सच है। आजकल, सबसे उन्नत AI मॉडल (जैसे Large Language Models या LLMs) का उपयोग और भी बेहतर और सूक्ष्म एम्बेडिंग मॉडल बनाने के लिए किया जा रहा है। यह AI के विकास में एक महत्वपूर्ण मोड़ है जहाँ एक AI दूसरे AI को प्रशिक्षित कर रहा है।
Google DeepMind के विशेषज्ञ Andre के अनुसार, यह प्रक्रिया दो मुख्य तरीकों से होती है। पहला, विशेषज्ञ इसे 'प्री-ट्रेन बैक बम' (pre-train back bomb) कहते हैं—यह एक शक्तिशाली शुरुआती बढ़त देने जैसा है। LLM के विशाल ज्ञान को नए एम्बेडिंग मॉडल में 'इंजेक्ट' कर दिया जाता है, ताकि उसे भाषा और दुनिया की बुनियादी समझ शून्य से न सीखनी पड़े। दूसरा, LLMs का उपयोग ट्रेनिंग डेटा सेट को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है, या तो मौजूदा डेटा को क्यूरेट करके या उच्च-गुणवत्ता वाले सिंथेटिक उदाहरण बनाकर।
यह इसलिए इतना प्रभावशाली है क्योंकि यह एक शक्तिशाली फीडबैक लूप बनाता है। AI के एक क्षेत्र (LLMs) में हुई प्रगति सीधे दूसरे क्षेत्र (एम्बेडिंग्स) में तेजी लाती है, जिससे कुल मिलाकर और भी स्मार्ट AI सिस्टम बनते हैं। यह AI की प्रगति में एक त्वरक (accelerator) की तरह काम करता है, जहाँ एक पीढ़ी का AI अपनी समझ को अगली पीढ़ी को सौंपता है, जिससे विकास की गति कई गुना बढ़ जाती है।
"llms can be used as a pre-train back bomb to initialize the embedding model and this allows the embedding model to already leverage multilingual and multim model understanding..."
(अनुवाद: एलएलएम का उपयोग एम्बेडिंग मॉडल को शुरू करने के लिए एक प्री-ट्रेन बैक बम के रूप में किया जा सकता है और यह एम्बेडिंग मॉडल को पहले से ही बहुभाषी और मल्टी-मॉडल समझ का लाभ उठाने की अनुमति देता है...)
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2. आपकी 'स्मार्ट' खोज असल में एक तेज़ अंदाज़ा लगाने वाला खेल है
जब आप Google पर कुछ खोजते हैं या YouTube पर कोई वीडियो देखते हैं, तो आपको तुरंत प्रासंगिक परिणाम मिल जाते हैं। आपको शायद लगता होगा कि सिस्टम आपके लिए सबसे सटीक मैच ढूंढ रहा है, लेकिन सच्चाई थोड़ी अलग है। असल में, यह एक रणनीतिक और तेज़ अंदाज़ा लगाने का खेल है।
अरबों डेटा पॉइंट्स (जिन्हें वेक्टर्स कहा जाता है) के बीच एकदम सही मैच खोजना (जिसे लीनियर सर्च कहते हैं) वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों के लिए बहुत धीमा और अव्यावहारिक है। इसका समाधान है 'एप्रोक्सिमेट नियरेस्ट नेबर' (Approximate Nearest Neighbor) या ANN सर्च—AI का एक छिपा हुआ शॉर्टकट। यह एक ऐसी तकनीक है जो थोड़ी-सी सटीकता का त्याग करके गति में भारी वृद्धि हासिल करती है। यह कोई अंधाधुंध अंदाज़ा नहीं है, बल्कि एक बेहद होशियारी से लगाया गया अनुमान है जो लगभग हमेशा सही होता है—और यह इतनी तेज़ी से होता है कि हमें पता भी नहीं चलता।
Google Search और YouTube जैसे बड़े उत्पाद इसी तकनीक का उपयोग करते हैं, जो ScaNN नामक एक उन्नत ANN एल्गोरिथ्म पर आधारित है। यह हमें सिखाता है कि AI की दुनिया में, पूरी सटीकता से ज़्यादा महत्वपूर्ण अक्सर व्यावहारिक गति होती है। गति और सटीकता के इस संतुलन को साधना ही असली चुनौती है, और यह सिर्फ़ खोज एल्गोरिदम तक ही सीमित नहीं है—यह हमारे डेटाबेस आर्किटेक्चर को भी प्रभावित करता है।
"...these a&n algorithms trade a tiny bit of accuracy for massive speed gains..."
(अनुवाद: ...ये एएनएन एल्गोरिदम सटीकता का एक छोटा सा हिस्सा देकर गति में भारी लाभ प्राप्त करते हैं...)
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3. आपका पुराना डेटाबेस ही आपका नया AI पावरहाउस हो सकता है
AI अनुप्रयोगों के बारे में एक आम धारणा यह है कि आपको वेक्टर सर्च के लिए एक विशेष, समर्पित वेक्टर डेटाबेस की आवश्यकता होती है। लेकिन यह हमेशा सच नहीं होता। एक आश्चर्यजनक और व्यावहारिक दृष्टिकोण यह है कि आपका मौजूदा ऑपरेशनल डेटाबेस (operational database) ही आपका नया AI पावरहाउस बन सकता है।
Google के विशेषज्ञों के अनुसार, Google के AlloyDB for PostgreSQL जैसे मौजूदा डेटाबेस अब शक्तिशाली वेक्टर सर्च क्षमताओं को शामिल कर रहे हैं। लगभग "90% उपयोग के मामलों" (90% of the use cases) के लिए, यह हाइब्रिड दृष्टिकोण पर्याप्त से अधिक है और इसके कई बड़े फायदे हैं। यह जटिल डेटा पाइपलाइनों (ETL), जहाँ डेटा को एक सिस्टम से निकालकर दूसरे में डालने की प्रक्रिया होती है, की आवश्यकता को समाप्त करता है और आर्किटेक्चर को सरल बनाता है, क्योंकि आपका स्ट्रक्चर्ड डेटा (जैसे कीमत, आकार, रंग) और आपके वेक्टर एम्बेडिंग्स एक ही स्थान पर रहते हैं। इससे डेवलपर्स पारंपरिक और वेक्टर प्रश्नों दोनों के लिए SQL जैसे एक ही परिचित इंटरफ़ेस का उपयोग कर सकते हैं।
हालांकि, सबसे ज़्यादा मांग वाले "10% उपयोग के मामलों" के लिए, जहाँ प्रदर्शन का हर छोटा हिस्सा मायने रखता है, वहाँ अभी भी विशेष वेक्टर डेटाबेस की जगह है। लेकिन अधिकांश लोगों के लिए, उनका पुराना, भरोसेमंद डेटाबेस AI के लिए पूरी तरह से तैयार हो सकता है। इसका मतलब है कि AI को अपनाने का रास्ता शायद आपके मौजूदा सिस्टम को अपग्रेड करने से शुरू होता है, न कि सब कुछ नए सिरे से बनाने से।
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4. AI का छिपा हुआ सिरदर्द: अपग्रेड करना आपकी सोच से ज़्यादा मुश्किल है
AI की दुनिया बहुत तेज़ी से आगे बढ़ रही है, और हर कुछ महीनों में नए और बेहतर एम्बेडिंग मॉडल जारी किए जाते हैं। स्वाभाविक रूप से, आप अपने सिस्टम को नवीनतम और सबसे अच्छे मॉडल से अपग्रेड करना चाहेंगे। लेकिन यहाँ AI की दुनिया का एक अनकहा सिरदर्द है: आप बस पुराने मॉडल को नए से बदल नहीं सकते।
इस चुनौती की गंभीरता को Google के विशेषज्ञ Chuck ने सीधे शब्दों में बताया:
"I hate to be the bear of bad news but you do have to upgrade all of your embeddings that you've done when you switch to a new model... embedding models just aren't compatible with each other..."
(अनुवाद: मुझे बुरी खबर देने वाला बनना पसंद नहीं है, लेकिन जब आप एक नए मॉडल पर स्विच करते हैं तो आपको अपने सभी एम्बेडिंग्स को अपग्रेड करना पड़ता है... एम्बेडिंग मॉडल बस एक-दूसरे के साथ संगत नहीं होते हैं...)
जब आप एक नए एम्बेडिंग मॉडल पर स्विच करते हैं, तो आपको अपने पूरे डेटासेट को फिर से प्रोसेस और री-इंडेक्स करना पड़ता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अलग-अलग एम्बेडिंग मॉडल एक-दूसरे के साथ संगत (compatible) नहीं होते हैं। एक मॉडल द्वारा बनाए गए वेक्टर्स दूसरे मॉडल के लिए अर्थहीन होते हैं। इसका मतलब है कि किसी संगठन को अपने पूरे डेटा को नए मॉडल के साथ री-प्रोसेस करने में महत्वपूर्ण समय और कंप्यूटेशनल संसाधन खर्च करने पड़ते हैं।
अच्छी खबर यह है कि यह एक "सक्रिय शोध क्षेत्र" (active research area) है। शोधकर्ता पुराने और नए एम्बेडिंग्स के बीच मैपिंग के अधिक कुशल तरीके खोजने पर काम कर रहे हैं, जो भविष्य में इस सिरदर्द को कम कर सकता है।
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Conclusion
आधुनिक AI को शक्ति देने वाला बुनियादी ढांचा आकर्षक ट्रेड-ऑफ, चतुर इंजीनियरिंग और व्यावहारिक चुनौतियों से भरा है जो अक्सर हमारी नज़रों से छिपी रहती हैं। यह सिर्फ जादुई एल्गोरिदम के बारे में नहीं है, बल्कि गति, सटीकता, लागत और रखरखाव के बीच सही संतुलन खोजने के बारे में भी है।
अब जब आप इन छिपे हुए पहलुओं को जानते हैं, तो आप AI के भविष्य के अनुप्रयोगों को किस नज़र से देखेंगे?
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